sanket 9
july sitambar 2011
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संकेत
Wednesday, December 28, 2011
Sunday, December 25, 2011
sanket 5
संकेत अप्रैल सितम्बर २०१० खदीजा खान की कवितायेँ
एक
ककून में क़ैद है
बस तभी तक
जिस दिन
बाहर निकलेगी
वो तितली बनकर
उड़ जाएगी
और तुम्हारे हाथों के
तोते उड़ जाएंगे ...
kavita -2
गुड़िया
हर प्रान्त, हर देश की
सुन्दर सलोने रंग रूप की
ये बेजान गुड़िया
अब बोलने लगी है
तमाशबीन हैरान है
समझते थे जो
एक खिलौना इसे
बातें सुनके अब इसकी
परेशान हैं
समय की परतों में
तहजीब की तहों में
गुड़िया बड़ी हो गई है
शो-केश से बाहर निकल
अपने लिए नई परिभाषा
गढ़ रही है
अपना आकाश छूने
अपनी ज़मीं पर
खड़ी हो गई है
सुन्दर सलोने रंग रूप की
ये बेजान गुड़िया
अब बोलने लगी है
तमाशबीन हैरान है
समझते थे जो
एक खिलौना इसे
बातें सुनके अब इसकी
परेशान हैं
समय की परतों में
तहजीब की तहों में
गुड़िया बड़ी हो गई है
शो-केश से बाहर निकल
अपने लिए नई परिभाषा
गढ़ रही है
अपना आकाश छूने
अपनी ज़मीं पर
खड़ी हो गई है
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